ऋषि तिवारी
हेलो हां ! बोलो क्या खबर है ?
मैंने पत्नी का फोन रिसीव करते हुए कहा ।
ठीक है !
कान बहुत दर्द कर रहा है जिसके कारण सिर का भी पिछले हिस्से में दर्द है मैं सो भी नहीं पा रही हूं उन्होंने कराहते हुए कहा ।
ओह अच्छा मैं दोपहर में आते वक्त दुकान से कोई दवा ले आऊंगा इतना बोलकर फोन रख दिया । दोपहर में कार्यस्थल से सीधे बाजार गए और एक दवा दुकान से कान दर्द का दवा मांगे । दुकानदार फटाफट एक ड्राॅप और चार चार टेबलेट करके दो तरह के दवाई दिया । पूछने पर कि कितना पैसा हुआ तो बोला कि एक सौ नब्बे रुपए हुए । थोड़ा देर के लिए तो मैं चौंक गया फिर भी दुकानदार से पूछा की कितने का है ? तो उसने विवरण सहित 98 रू का टेबलेट और 92 रू का ड्राप बताया ।
फिर फोन पे के द्वारा पैसा देकर घर गए । कहीं न कहीं हमारे मन में ये लग रहा था कि हो न हो पैसा अधिक ले लिया है यानी मैं स्वयं को ठगा अनुभव कर रहा था । तो मैंने घर आकर पत्नी को एक खुराक दवा खिलाकर नेट से उन दवाईयों का दाम पता किए । जिसमें यह पता चला कि जो टेबलेट 29 रूपए के थे लेकिन दाम 98 रूपए लिया है और ड्राप का 92 रू प्राइस के अनुसार लिया है । मतलब एमआरपी का 121 के जगह 190 रू लिया है । अब मैं तुरंत मेडिकल पहुंचा । दुकानदार ने जैसे हीं दुबारा हमें देखा उसका अजीब सा चेहरा मुरझा गया और हांथ कांपने लगे ।
मैंने कहा कि इन दवाइयों का दाम दिखाईए ।
पहले तो दुकानदार टाल मटोल किया फिर कहा कि यह सारा दवाई बेच दिया हूं इसलिए इसका प्राइस नहीं दिखा पाऊंगा । बात क्या है ? दुकानदार ने कंपकंपाते हुए पूछा ।
फिर मैंने कहा कि तुम पैसा अधिक लिए हो ऐसा हमें आभास हो रहा है इसलिए थोड़ा ठीक से जांच कर लो । कहीं जोड़ने में गलती हुई हो ।
दुकानदार ने नकारते हुए कहा कि आप बेकार के घबरा रहे हैं पैसा ज्यादा नहीं लिया हूं । जो इसका कीमत है मैं उतना हीं लिया हूं । फिर मैंने उसे शांति से समझाया और कहा कि देखो तुम पैसा सही लिए हो तो कांप क्यों रहे हो ? और तुम्हारे पास दवा बिक गया है तो क्या हुआ बगल के दुकान से देख लेते हैं तब तो पता चल जाएगा कि कितने का है ?
देखो अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है मैंने नेट से सब पता कर लिया है तुम 121 के बदले 190 रू लिए हो । अतः सच स्वीकार कर अपनी गलती सुधारो और मेरा पैसा वापस करो नहीं तो……..
फिर क्या तुरंत दुकानदार ने अपनी गलती मानते हुए थर थर कांपते हाथों से अधिक पैसे लौटा दिए । झूठ चारों तरफ से घिर जाने के बाद समर्पण कर हीं देता है ।
ऋषि तिवारी
चकरी , सिवान , बिहार ।