साक्षात्कार साहित्यकार का में दि ग्राम टुडे के सवालों का जवाब दे रहे हैं वरिष्ठ साहित्यकार गोविन्द कुमार गुप्ता जी ।
१) अपना संक्षिप्त परिचय दें
गोविन्द गुप्ता,कवि व सामाजिक कार्यकर्ता,
15 साहित्यिक विश्व रिकार्ड में सहभागिता व अनेकों सम्मान,
२) आपका आगमन साहित्य के आँगन में कब हुआ? अर्थात् आपने कब से लिखना आरंभ किया?
पिछले 20 वर्ष से लेखन का कार्य परन्तु ऑनलाइन गतिविधि 2020 से,
३) आप कौन कौनसी विधा में लेखन करते हैं, अपनी किन्हीं श्रेष्ठ एक दो रचनाओं को हमारे बीच साझां करें।
कविता,
♥️प्यार,🌷
धीमी धीमी सी बारिश हो,
और मानसून की हो आहट,
मौसम भी भीगा भीगा हो
तो समय बीतता ले करवट,
यादों की गठरी खुल जाती,
और फ़िल्म सी चलने लगती है,
वो पल जो बीते साथ साथ ,
वह याद सुलगने लगती है,
जब मैं कहता था आ जाओ,
वह कहती थी ना ना चल हट,
धीमी धीमी सी बारिश हो
और मानसून की हो आहट,।।
करती अठखेली थी कितनी
चंचल सी कितनी दिखती थी,
पन्ने पर पन्ने फाड् फाड़ फिर,
फिर देखो वह लिखती थी,
जव मैं देता था छेड उसे
वो बोल उठे चल हट नटखट,।।
धीमी धीमी सी बारिश हो
औऱ मानसून की हो आहट,।।
स्पर्श बहुत मनभावन था,
कितना प्यारा वह आंगन था,
कच्ची मिट्टी भीगी भीगी,
उसपर रपटन भी पावन था,
तुम नाव चलाती कागज की,
वह दौड़े इधर उधर झटपट,,
धीमी धीमी सी बारिश हो
और मानसून की हो आहट,।।
वह प्यार भरी यादे देखो
सब आज याद आ जाती है,
मौसम का यह अंदाज देख,
मन मे वह सब छा जाती है,
वह समय पुराना बीत गया,,
अब हो जाती जब तब खटपट,
धीमी धीमी सी बारिश हो
और मानसून की हो आहट,।।
Govind@
४) आप नवोदित रचनाकारों को अपने साहित्यिक अनुभव द्वारा क्या सुझाव देना चाहेंगे?यही की विषय पर लिखे सत्य लिखे,
६) आपके अनुसार हिंदी के उत्थान हेतु साहित्यकारो को किस तरह कौनसा कार्य करना चाहिए?
नवोदित को सम्मान, मंच,व सहयोग
७) क्या आप इस बात से सहमत हैं कि हम अपनी कलम की मदद से सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं यदि हाँ, तो कैसे?
सकारात्मक लेखन से,
अंत में एक आखिरी प्रश्न कहिए या सुझाव जो हम आपसे जानना चाहते हैं
क्या दि ग्राम टुडे प्रकाशन समूह आप रचनाकारों के लिए कुछ बेहतर कर पा रहा है? यदि हाँ, तो हमें अपना सुझाव दें अथवा नहीं तो बताएं कि हम कैसे अपने प्रकाशन समूह में कुछेक बदलाव ला सकते हैं?
जितना अच्छा कर सकता है उससे अधिक कर रहा है,