डाॅ.पुष्पा सिंह
शरद पूर्णिमा की रात
अमृत बरसता है
तुम्हारे लिए।
अप्रतिम चाँदनी की सुंदरता
हृदय बहे सरसता
तुम्हारे लिए।
अद्भुत मनोहरी चंद्र किरणें
भरी आज पोषकता
तुम्हारे लिए।
मादक सुधाकर मन भाए
कणकण में मधुरता
तुम्हारे लिए।
चांद आया जमीन पर
किरणों के साथ
तुम्हारे लिए।
औषधीय गुण होते सारे
निरोग करने आई
तुम्हारे लिए।