१) अपना संक्षिप्त परिचय दें।
जीवन परिचय
नाम : डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
योग्यता : एम.ए.,बी.एड.,बी.इ.एम.एस.
डी.एन.वाई.एस.,एस.आर.,
ए.आर.,पी.जी.डी.एस.डब्लू,
पीएच.डी.(आर.ए.)बी.ए.आई.
आर.पी.एम.,डी.इ.एच.एम.
पिता का नाम : स्व. हरिहर शरण श्रीवास्तव
माता का नाम : स्व. प्रेम लता श्रीवास्तव
वर्तमान सेवा पद: सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रवक्ता
संस्था व पता :पी.बी.कालेज,प्रतापगढ़,यू.पी.
पोस्टल एड्रेस : “लक्ष्मीशरणम”
156-अभय नगर,प्रतापगढ़ सिटी
प्रतापगढ़,यू.पी.पिन-230002
कांटैक्ट नं. : 9415350596
इमेल आईडी :
dgupdist114aci@gmail.com
AND
dr.vinaysrivastavapbh@gmail.com
भारतीय सामाजिक संस्थाओं में सक्रियता
जिला अध्यक्ष
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा-प्रतापगढ़
(उ.प्र.)
जिला अध्यक्ष
ह्यूमन सेफ लाइफ फाउंडेशन-प्रतापगढ़,(उ.प्र.)
निर्विरोध अध्यक्ष लगातार 10 वर्ष
एवं वर्तमान में मार्च 2023 तक संरक्षक
उ.प्र.माध्यमिक शिक्षक संघ,पी.बी.सी.यूनिट
प्रतापगढ़, (उ. प्र.)
जिला शिक्षा विभाग तथा जिला प्रशासन एवं उ. प्र. तथा भारत सरकार द्वारा दी गयी विशेष महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन
1 – केंद्र व्यवस्थापक:
का.एस.उ.मा.वि.,मोहनगंज,प्रतापगढ़
यू पी बोर्ड परीक्षा माध्यमिक शिक्षा परिषद-इलाहाबाद, उ.प्र.
2 – नोडल अफसर:
समाज कल्याण विभाग उ.प्र. छात्रवृत्ति योजना
पी.बी. कालेज,प्रतापगढ़, उ.प्र.
3- निदेशक:
सांस्कृतिक एवं पाठ्य सहगामी क्रियाकलाप
पी.बी. कालेज, प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
4 – उप प्रधान परीक्षक:
उ.प्र.माध्यमिक शिक्षा परिषद-प्रयागराज (इलाहाबाद)
5 – प्रधान निर्णायक:
जनपदीय कला व सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं
शिक्षा,स्वास्थ्य,पर्यावरण,ऊर्जा,खेलकूद,जल,
वन विभाग एवं अन्य जिला स्तरीय सामाजिक संस्थाएं-प्रतापगढ़,उ.प्र.
6 – पूर्व संप्रेक्षक: जिला बाल कारागार,
समाज कल्याण विभाग,उत्तर प्रदेश सरकार
प्रतापगढ़,उ.प्र.
7 – पूर्व इग्जीक्यूटिव मेंबर:
जिला साक्षरता कमेटी, प्रौढ़ शिक्षा विभाग,
उत्तर प्रदेश सरकार,प्रतापगढ़,उ.प्र.
8 – पूर्व सदस्य:
पल्स पोलियो स्टेयरिंग कमेटी,
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग,
उत्तर प्रदेश,प्रतापगढ़-उ.प्र.
9 – प्रभारी/सचिव:
पर्यावरण क्लब,पी.बी. कालेज,प्रतापगढ़,उ.प्र.
(राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण,वन एवं पर्यावरण मंत्रालय-भारत सरकार)
10 – सेक्टर मजिस्ट्रेट :
सामान्य लोकसभा निर्वाचन, प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश
11 – स्टैटिक मजिस्ट्रेट :
जनरल असेम्बली एलेक्शन, प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश
12 – पीठासीन अधिकारी :
जनरल एसेम्बली एवं पार्लियामेंट्री एलेक्शन्स,प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश
13- प्रधान संपादक:
“वासंती” (शताब्दी विशेषांक)वार्षिक पत्रिका
पी.बी.कालेज, प्रतापगढ़,उ.प्र.
14 – एरिया मजिस्ट्रेट:
मजिस्ट्रेट आन स्पेशल ड्यूटी,कोविड-19
कोरोना वायरस हॉट स्पॉट एरिया,प्रतापगढ़
15 – नोडल ऑफिसर :
ऑनलाइन वर्चुअल क्लासेस असेसमेंट
सदर-गड़वारा क्षेत्र के 8 विद्यालय-प्रतापगढ़
पूर्व में जहाँ सेवारत रहा-अन्य संस्थाएं
1 – सहायक निदेशक :
(कार्मिक एवं सामान्य प्रशासन)
ए.के.आर.पॉलिटेक्निक,मुरादाबाद-यू.पी.
2 – सह परियोजना अधिकारी :
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन,नेहरू युवा केंद्र,मिर्जापुर
(युवा एवं खेलकूद विभाग,मानव संसाधन विकास विकास मंत्रालय-भारत सरकार)
3 – परियोजना प्रबंधक :
फ़ेमिली प्लांनिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया-मुंबई
(आई.पी.पी.एफ.-लन्दन व हेल्थ एण्ड फ़ेमिली वेलफेयर मिनिस्ट्री-भारत सरकार का संयुक्त उपक्रम)
एशिया लेवल की संस्थाओं में सक्रियता
1- एक्सीक्यूटिव मेंबर :
गवर्निंग कॉउन्सिल(एशिया लेवल कायस्थ ट्रस्ट)
के. पी. सी. ट्रस्ट, प्रयागराज (इलाहबाद) उ.प्र.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं में सक्रियता
1 – पूर्व डिप्टी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर (सेंट्रल)
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल, डिस्ट्रिक्ट- 321 इ
2- फाउंडर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर : उत्तर प्रदेश
एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,डिस्ट्रिक्ट-114
प्रतापगढ़, उ.प्र.
3- पूर्व एक्सटेंशन चेयरमैन : उत्तर प्रदेश
एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल-कोलकाता,इंडिया
4- पूर्व इंटरनेशनल कमेटी चेयरमैन (एजुकेशन) 2018-219
एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल-कोलकाता,इंडिया
5- निवर्तमान इंटरनेशनल एडवाइजर नार्थ इंडिया,2019-2020
एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल-कोलकाता,इंडिया
6 – इंटरनेशनल एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर
नार्थ इंडिया परिक्षेत्र (2020-2021)
एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल-कोलकाता,इंडिया
7 – इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोआर्डिनेटर,एलायंस क्लब्स इंटरनेशनल,2021-2022
8 – आजीवन सदस्य :
लोक हित सेवा संस्थान
पटना- बिहार
9- आजीवन सदस्य :
एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल फाउंडेशन
कोलकाता-पश्चिम बंगाल
10- आजीवन सदस्य :
लक्ष्मी शरणम लाज
प्रतापगढ़ सिटी,प्रतापगढ़,उ.प्र.
11- आजीवन सदस्य :
एलायन्स क्लब प्रतापगढ़ “विनय”
प्रतापगढ़ सिटी,प्रतापगढ़,उ.प्र.
12- आजीवन सदस्य :
अमर ज्योति क्लब
प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
अबतक प्राप्त विभिन्न सम्मानपत्रों की संख्या-450 प्लस
अबतक विभिन्न राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों यथा संस्कार न्यूज़,
द ग्राम टुडे,पंचायत जागरण,ब्रिज विमला वाणी,ब्राइट टाइम्स, दैनिक लोक मित्र,इंदौर समाचार,राष्ट्रीय सहारा,दस्तक प्रभात,
रेड हंडेड,कोल फील्ड मिरर,अमृत प्रभात इत्यादि अनेकों डेली
न्यूज़ पेपर एवं साप्ताहिक/पाक्षिक/मासिक पत्र-पत्रिकाओं एवं
ई-बुक्स जैसे नव किरण,कविघोष,द ग्राम टुडे प्रकाशन समूह, काव्यांजलि,राष्ट्रीय पत्रकार सुमन,इंकलाब साहित्यिक पत्रिका,
साहित्यॉजलि प्रभा इत्यादि अनेक पत्र पत्रिकाएं तथा डेली न्यूज़ वेबपोर्टल्स एवं वेबसाइट यथा द ग्राम टुडे,ग्लोबल भारत,डेली
हंट,सर्किल एप,लोकमित्र,इंकलाब इत्यादि के अतिरिक्त विदेशी
हिंदी साप्ताहिक “हम हिंदुस्तानी”-अमेरिका,कनाडा एवं “सृजन- ऑस्ट्रेलिया”-ऑस्ट्रेलिया आदि में प्रकाशित कुल मिला कर मेरी प्रकाशित रचनाओं की संख्या-300 प्लस।
जापान से प्रकाशित होने वाली पत्रिका “हिंदी की गूँज” में उसके नवीन अंक में इस बार मेरी भी कोई आर्टिकल प्रकाशित होने की मुझे पूर्ण आशा एवं विश्वास है।
प्राप्त अवार्ड एवं सम्मान :
अध्यन काल से लेकर वर्तमान समय तक में विद्यालय,जिला, मंडल,प्रदेश स्तर,शासन एवं प्रशासन तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्वयं सेवी सेवा संगठनों से भी अभी तक अनेकों प्रशस्ति प्रमाण पत्र,प्रसंशा-पत्र,पुरस्कार,ट्रॉफी,मेडल,प्रतीक चिन्ह व हिंदी साहित्य सेवा के क्षेत्र में विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्राप्त सम्मान-पत्र आदि कुल मिलाकर जिनकी संख्या लगभग 800 प्लस है।
अब तक ई-बुक साझा संकलनों की संख्या-200 प्लस
अब तक पेपर बुक साझा संकलन की संख्या-50 प्लस
अबतक विभिन्न पत्र-पत्रिका में प्रकाशित कविताओं और लेखों की संख्या-250 प्लस
लेखन विधा : कविता/गद्य /आलेख/दोहा/कुंडलिया/गजल/गीत/ लघुकथा इत्यादि विभिन्न विधाएं।
वर्तमान में स्वयं का भी प्रथम एकल काव्य संग्रह दिसंबर 2021
में ज्ञानेश्वरी प्रकाशन-मुजफ्फरनगर द्वारा
“नव काव्य प्रसून” नाम से प्रकाशित हो चुका है,जो अमेज़ॉन पर उपलब्ध है।
हमारी दूसरी भी एक पेपर बुक अतिशीघ्र ही प्रकाशनाधीन है।
सर्वाधिकार सुरक्षित ©®
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रवक्ता-पी.बी. कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक,लघुकथाकार एवं समाजसेवी)
(शिक्षक,कवि,लेखक,लघुकथाकार,समीक्षक व समाजसेवी)
इंटरनेशनल ज्वाइंट ट्रेजरर, 2023-2024, ए. सी.आई.
एलायंस क्लब्स इंटरनेशनल,कोलकाता,प.बंगाल,भारत
वरिष्ठ समाजसेवी-प्रांतीय,राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय सेवा संगठन
२) आपका आगमन साहित्य के आँगन में कब हुआ? अर्थात् आपने कब से लिखना आरंभ किया?
लिखने-पढ़ने का शौक तो मुझे अपने अध्यन काल से ही रहा है, जब मैं हाईस्कूल में पढता था,1974 का वह मेरे किशोरवस्था का समय था। मैं अपनी कक्षा में खाली पीरियड रहने पर यदि मेरे मन में किसी दिन कुछ लिखने का भाव आता था तो अपनी रफ कॉपी में कभी-कभी 4-6 लाइन जरूर लिख लेता था। यद्यपि कि मेरा लिखना बस ऐसे ही रहता था। हाँ अगर मुझे उसमे कुछ और भी बढ़ाने का मन होता था तो उसे फिर किसी दिन पढ़ाई से समय मिलने पर बढ़ा भी लेता था। मेरी लिखी हुई बहुत सी रचनाएं आज भी मेरे पास उसी तरह सुरक्षित रखी हैं। मैं कभी बस या ट्रेन की यात्रा में होता था तो भी मेरे मन में कभी कुछ गुनगुनाते हुए कोई बात आई तो उस समय मैं अपने उसी बस/ट्रेन की टिकट पर पीछे की ओर 2 लाइन लिख कर उसी समय जेब में सुरक्षित रख लेता था,जिससे कल्पना के जो भाव मेरे अंदर उत्पन्न हुए थे वह
भूल न जाए और समय मिलने पर उसे मैं और कुछ लाइन जोड़ कर किसी कविता का रुप दे सकूँ। इस तरह मैं लगभग 1980 तक अपने स्नातकोत्तर की पढ़ाई तक करता रहा,लेकिन कुछ न कुछ कभी कभार लिखता जरूर रहा। मेरे पितामह (परबाबा) एक चिकित्सक और कवि भी थे। संभवतः लेखन का यह गुण मुझमें
पैतृक रूप में उनके दो पीढ़ी बाद तीसरी पीढ़ी में मेरे अंदर आया।
पढ़ाई के बाद सेवा में आने पर मैं अक्सर ही लिखने लगा और अपने सहकर्मी साथियों को दिखाने भी लगा की देखो कविता कैसी है मैंने अभी लिखा है इसे अपने जीरो पीरियड में,कभी कभार उसे प्रकाशित होने के लिए भी भेजनें लगा। हमारे साथी हमें आशु कवि कहते थे,और मेरी रचनाओं की प्रसंशा भी करते
थे,इस प्रसंशा और कविता के प्रकाशित हो जाने से मुझे अतीव प्रसन्नता होती थी,मेरे उत्साह वर्धन के लिए यह एक बहुत बड़ा
सम्बल था। यह दौर भी करीब बारह वर्ष 1992 तक अबाध गति से चलता रहा। उसके बाद मुझे अक्सर रचनाएं लिखने और उसे प्रकाशित होने का भी मौका मिलने लगा। इस प्रकार से मेरी यह
साहित्यिक अभिरूचि दिन ब दिन बढ़ती और धीरे-धीरे फलती फूलती रही। मेरे कविता लेखन का यह दौर भी करीब 6-7 वर्ष
1998-99 तक यूँही चलता रहा। इसके बाद से मेरी रचनाओं व लेखों का प्रकाशन विभिन्न प्रांतों में भी लगभग सम्पूर्ण भारत वर्ष से प्रकाशित होने वाले 4-5 दैनिक हिंदी समाचार पत्रों में अक्सर
ही होने लगा और यह क्रम 2016-17 तक करीब 18-20 वर्षों तक ऐसे ही निरंतर चलता रहा मेरा लेखन कार्य भी नौकरी सेवा
के साथ होता रहा,किन्तु वश्विक महामारी कोरोना के देश में बढ़ते
संक्रमण की रोक-थाम के लिए जब माननीय प्रधानमंत्री जी ने नागरिकों की सुरक्षा हेतु सम्पूर्ण लॉक डाउन की घोषणा कर दिया
और सभी स्कूल,कालेज,शिक्षण,प्रशिक्षण संस्थाएं,कार्यालयों को काफी समय तक बंद रहने और घर में ही सुरक्षित रहने का बाहर न निकलने का आदेश हो गया तो मैं ही नहीं कोई भी क्या कर
सकता था शिवाय इसके कि घर में बैठे-बैठे खाये,पिए और टीवी देखे। एक साहित्यकार होने के नाते मैंने अपनी रचना धर्मिता को
और अधिक समय यहाँ तक कि लगभग 12-15 घंटे रोज ही मैं
हिंदी साहित्य सृजन को देने लगा और 4-4 कभी-कभी उससे ज्यादा किसी-किसी दिन 6-7 रचनाएं तक उस पीरियड में मैंने लिख डाला। साहित्यिक लेखन के इस दीवानगी में कभी भोजन और नाश्ता आदि भी करने के लिए अपने बीबी,बच्चों व परिवार को समय नहीं देता था,जिससे घर के सब लोग नाराज भी होते थे। मैंने उस आपदा को अपने लिए वृहद लेखन का अवसर ही समझा और इस समय का पूर्णतः सदुपयोग करते हुए मैं अपने लेखन के प्रति पूर्ण समर्पित रहा और हिंदी साहित्य सेवा में लगा रहा। इस दौरान लगभग 350-400 प्लस कविताएं एवं लेख कोरोना,लॉकडाउन,पर्यावरण,जल,वन,वीरता,राष्ट्रप्रेम,प्रदूषण,
श्रमिक,सहित अन्य विभिन्न विषयों पर मैंने लिख डाला। इसको
मैं प्रकाशित होने के लिए भी रोज भेजता रहा। लगभग 10-15 राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों में मेरी कविता और लेख प्रकाशित
होने लगा था। वर्ष -दो वर्ष तो ऐसा रहा कि लगभग कोई ऐसा दिन नहीं होता था जिस दिन मेरी कोई कविता और लेख 4-6 अख़बारों में तथा कई डिजिटल न्यूज़ पोर्टल,वेबसाइट एवं कुछ
एप्प पर देख कर मुझे खुशी न होती रही हो। यहाँ इस बात का उल्लेख करना मेरे लिए बहुत जरुरी है मेरे साहित्य सृजन को चमकाने में जिन्होंने हमको अपना अमूल्य सहयोग,स्नेह,प्यार
और पूर्ण समर्थन दिया उसमें द ग्राम टुडे प्रकाशन समूह,के समूह संपादक आदरणीय श्री शिवेश्वर दत्त पाण्डेय जी,दैनिक लोक
मित्र के प्रधान संपादक आदरणीय श्री संतोष भगवन जी,सर्किल
ऐप के संचालक आदरणीय श्री राजीव पाण्डेय जी,दस्तक प्रभात के आदरणीय संपादक श्री प्रभात वर्मा जी,डेली हंट के प्रभारी आदरणीय साकेत मिश्रा जी,मरीना सन्देश के जिला संवाददाता आदरणीय शिव कुमार शास्त्री जी,ब्रिज विमला वाणी एवं ब्राइट टाइम्स के प्रधान संपादक आदरणीय श्री गौरव श्रीवास्तव जी तथा
पत्रकार सुमन के प्रधान संपादक आदरणीय श्री अखिल नारायण सिंह जी, हम हिंदुस्तानी-यूएसए के प्रधान संपादक आदरणीय श्री सरदार जे.एस. सिंह जी एवं सृजन ऑस्ट्रेलिया के प्रबंध संपादक आदरणीय डॉ. श्री शैलेश शुक्ला जी आदि का प्रमुख सहयोग एवं आशीर्वाद मुझे बिना किसी लालच एवं अपेक्षा के निरंतर मिलता रहा है। मैं हृदय कि गहराइयों से आप सभी का आज बहुत-बहुत आभारी हूँ और द ग्राम टुडे के इस साक्षात्कार के माध्यम से अपना हार्दिक साधुवाद प्रेषित करता हूँ।
३) आप कौन कौनसी विधा में लेखन करते हैं, अपनी किन्हीं श्रेष्ठ एक दो रचनाओं को हमारे बीच साझां करें।
हमारी मुख्य लेखन विधा : कविता ही है किन्तु हमने गीत,गजल, कुंडलिया छंद,कजरी,लोकगीत,ओज,श्रृंगार,दोहा इत्यादि में भी
कभी-कभी मैं लिखता हूँ।
रचना शीर्षक : 1
हे शूरवीर,क्रांतिवीर तुम्हीं से भारत माता की शान
हे भारत माता के रक्षक,तुम्हें शत-शत मेरा प्रणाम।
भारत माँ के हे लाल,तुझे मेरा है बारम्बार प्रणाम।।
प्राणों की शहादत दे,करते तुम भारत माँ की रक्षा।
तेरा ही बलिदान करे,मेरे भारत की हरदम सुरक्षा।।
शत्रु चाहे जितना भी अपना,हरसंभव जोर लगाए।
भारत की सीमा पर निसदिन,वह तनाव फैलाए।।
तू रक्षक है भारत सीमा की,तू ही भारत की शान।
दुश्मन से बदला लेते हो,हरदम निज बंदूखें तान।।
तुम पर गर्व करें भारतवासी,तुम पर है अभिमान।
तेरे दम पर माँ भारती के,तिरंगे झंडे की है शान।।
हे शूरवीर,हे देशभक्त,भारत रक्षक तू बड़ा महान।
करता नमन तुम्हें मैं हे वीरों,कोटि-कोटि प्रणाम।।
भारत की आजादी का, तू गौरव है,तू ही है शान।
अंग्रेजों से लोहा लेते,भारत माँ को दी तूने जान।।
गुलामी की बेड़ी से मुक्त किया,सारा देश जहान।
भारतमाता अभिनन्दन है,ए भारत बना महान।।
लोकतंत्र बना भारत,खुशी हुए सभी हिंदुस्तानी।
स्वतंत्र देश अब अपना,भगा दिए इंग्लिशतानी।।
सदा तिरंगा गगन में ऐसे ही,लहर-लहर लहराए।
भारत माँ के अभिनन्दन में,आएं शीश झुकाएं।।
युगों-युगों तक याद रखेगा,भारत तेरा बलिदान।
हे भारत के क्रांतिवीर,ये देश करें तेरा सम्मान।।
श्रद्धा सुमन अर्पित है,तुम्हें कोटि-कोटि प्रणाम।
तेरा वंदन है,अभिनन्दन है,शत-शत है प्रणाम।।
सर्वाधिकार सुरक्षित ©®
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
सेवानिवृत वरिष्ठ प्रवक्ता-पी.बी.कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
रचना शीर्षक : 2
प्राचीन से नवीन तक भारतीय मुद्रा प्रणाली
आज मन हुआ लिख डालूँ मैं, रूपये का इतिहास।
जिससे लोग समझ पाएं, क्या इसका है इतिहास ?
प्राचीन भारतीय मुद्रा प्रणाली,में यह क्या होता था?
क्या कहते थे हम सब उसको,कितने सम होता था?
फूटी कौड़ी से, कौड़ी,कौड़ी से दमड़ी, हम कहते थे।
दमड़ी से ढेला,ढेला से पाई तक,ऐसा हम कहते थे।।
पाई से पैसा,पैसा से आना, बनता था हम कहते थे।
यही रूप मुद्रा का पुराना है, ऐसा ही हम कहते थे।।
प्राचीन भारतीय मुद्रा प्रणाली, आना से रुपया बना।
वर्तमान में सब भूल गए,याद केवल ये रुपया बना।।
तीन फूटी कौड़ी बराबर,एक कौड़ी, होती थी पहले।
दस कौड़ी के बराबर,एक दमड़ी,ये होती थी पहले।।
दो दमड़ी बराबर,एक ढेला,हम सब कहते थे पहले।
एक ढेला बराबर,डेढ़ पाई मुद्रा, ये कहते थे पहले।।
दो पाई बराबर,पुराना एक पैसा,है ये कहलाता था।
चार पैसा बराबर,पुराना एक आना, कहलाता था।।
सोलह आना बराबर,तब एक रुपया कहलाता था।
दो सौ छप्पन दमड़ी का,एक रुपया कहलाता था।।
एक सौ बान्नबे पाई का, एक रुपया कहलाता था।
एक सौ अठाइस ढेले का,ये रुपया कहलाता था।।
पुराने चौसठ पैसे का ही,एक रुपया यह होता था।
एक रूपया सोलह आने,के बराबर यह होता था।।
प्राचीन मुद्रा प्रणाली में,ये मुद्राएं बोल-चाल में भी।
इन इकाइयों के प्रयोग,प्रचलित हिंदी चाल में भी।।
मुद्राओं के नाम,रूप से, हिंदी में कहावतें भी बनीं।
प्राचीन काल की कहावतें, आज भी हैं यहाँ बनीं।।
एक कहावत है एक फूटी कौड़ी भी नहीं दूँगा।
जब कहना है मैं सोलह आने सच कह दूँगा।।
ढेले भर का काम नहीं करती है आराम चाहे।
पाई-पाई का हिसाब रखना वही काम चाहे।।
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए यह भी कहते।
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया भी तो कहते।।
एक रुपया के बराबर,नया सौ पैसा,अब होता है।
पूर्व भारतीय मुद्राएँ विलुप्त है,नई मुद्रा होता है।।
काव्य में प्रस्तुत है,भारतीय प्राचीन मुद्रा प्रणाली।
शायद याद नहीं हो,कभी ऐसी थी मुद्रा प्रणाली।।
सर्वाधिकार सुरक्षित ©®
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रवक्ता-पी.बी.कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक,लघुकथाकार एवं समाजसेवी)
गजल : रचना शीर्षक : 3
बदले जमाने में पहले वाली अब कोई बात नहीं
बदले जमाने में पहले वाली,अब कोई बात नहीं।
अब हँसी लम्हा न रहा कोई, वैसी जज्बात नहीं।।
पहले वाले दिन जैसे,मन में कोई ख्यालात नहीं।
इंसान की बातों में, पहले वाली कोई बात नहीं।।
जबसे दिलवर की नजर से, नजर मिली ये नहीं।
दिन यह लगते फीके सारे,हँसी व रंगी रात नहीं।।
मोती से आँसू झरते रहते, भीगे रहते मेरे नयन।
मौसमे सावन में सूखा है, होती ये बरसात नहीं।।
दिल में शहनाई बजती है, उनकी यादों से भरी।
सह न पाऊँ मैं दर्द प्यार में,और कोई घात नहीं।।
सूनी हैं यह राहें मेरी, फिरभी मैं बढ़ता ही गया।
ठहरा न थका मैं, रुकता गम का बज्रपात नहीं।।
मुहब्बत कौन नहीं करता,मैं भी इश्क कर बैठा।
जान देता हूँ उसपे,शायद मालूम यह बात नहीं।।
मुझे शिकवा भी नहीं उनसे,आज भी तो कोई।
गम है इस बात का केवल,वो समझें बात नहीं।।
सर्वाधिकार सुरक्षित (C)(R)
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
रिटायर्ड सीनियर लेक्चरर-पी.बी.कालेज,प्रतापगढ़,उ.प्र.
वरिष्ठ समाजसेवी-प्रदेशीय,राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठन
४) आप नवोदित रचनाकारों को अपने साहित्यिक अनुभव द्वारा क्या सुझाव देना चाहेंगे?
वास्तव में देखा जाए तो आज नवोदित रचनाकारों,साहित्यकारों
ने हिंदी साहित्य सेवा के क्षेत्र में जब से अपना कदम रखा है हिंदी साहित्य जगत में इन ऊर्जावान कवियों और कवयित्रियों के सुन्दर लेखनी से उनके कल्पना,मन,भाव व सुन्दर सृजन का आश्चर्जनक
परिणाम और उपलब्धि तो साहित्य जगत को अवश्य प्राप्त हुई है एवं निरंतर हो भी रही है किन्तु नवोदित रचनाकारों को साहित्य सृजन में और अधिक ध्यान देने,दूसरों कि रचनाओं को पढ़ कर उससे मिले नवीन ज्ञान,सार्थक शब्दों का प्रयोग,वर्तनी की शुद्धता,
अल्प विराम,पूर्ण विराम,यति आदि का ध्यान तथा सही शब्दों का
यथा स्थान पर समुचित प्रयोग कार अपनी रचना को और अधिक श्रेष्ठ बनाने का प्रयत्न करना चाहिए।
६) आपके अनुसार हिंदी के उत्थान हेतु साहित्यकारो को किस तरह कौन सा कार्य करना चाहिए?
मेरे अनुसार साहित्यकारों को हिंदी उत्थान के लिए सर्वप्रथम तो सिर्फ और सिर्फ हिंदी भाषा को धारा प्रवाह बोलना,लिखना एवं
गर्व से इसे स्वयं अपनाना चाहिए और हम हिंदी बोलते हैं लोग अंग्रेजी ऐसी हीन भावना को दिल से बाहर निकाल देना चाहिए।
हिंदी की कार्यशाला,व्याख्यान माला,हिंदी पत्र लेखन,हिंदी कविता लेखन, लघुकथा लेखन,कहानी लेखन आदि की प्रतियोगिताओं को आयोजित कर स्कूली छात्र-छात्राओं और समाज के नागरिकों
को भी उसमें जोड़ें और उन्हें सहभागिता करने को कहें।
७) क्या आप इस बात से सहमत हैं कि हम अपनी कलम की मदद से सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं यदि हाँ, तो कैसे?
जी हाँ,मैं आपकी इस बात से पूर्णतः सहमत हूँ। आपने ये देखा, सुना और पढ़ा होगा,आजादी की लड़ाई में हमारे स्वतंत्रता संग्राम
सेनानियों के साथ ही साथ उस समय के राष्ट्र प्रेमी साहित्यकारों, क्रन्तिकारी कवियों,लेखकों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है,जो
अपनी लेखनी की धार से देशभक्ति के गीत,साहित्य,अपील लिख कर क्रांति की ज्वाला उत्पन्न कर दिया करते थे। उनकी लेखनी का ही कमाल था,जिसे पढ़ कर और गा कर हमारे देशवासियों के मन
में और युवाओं,वीरों स्वतंत्रता सेनानियों में एक नया जोश भर जाता था। अंत में हम सब इन गोरों की गुलामी की दास्ता और जंजीरों से मुक्त हुए,आज आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिक हैं।
साहित्यकारों की कलम में बदलाव लाने का जादू और ताकत तो
हमेशा से रहा है, आज भी है। साहित्य समाज का दर्पण होता है, और साहित्यकार समाज का साहित्यिक जादूगर होता है,वह हर
क्रांति और बदलाव लाने के लिए सकारात्मक,आंदोलनात्मक एवं
प्रभावकारी,जन-मन पर असर करने वाला और समाज के लिए अनुकरणीय साहित्य सृजन हो,तो निश्चित ही हम स्वयं में,समाज में,व्यवस्था में,मानसिकता में,उपलब्धि में हर जगह सकारात्मक बदलाव लाने में सफल हो सकते हैं।
अंत में एक आखिरी प्रश्न कहिए या सुझाव जो हम आपसे जानना चाहते हैं
क्या दि ग्राम टुडे प्रकाशन समूह आप रचनाकारों के लिए कुछ बेहतर कर पा रहा है? यदि हाँ, तो हमें अपना सुझाव दें अथवा नहीं तो बताएं कि हम कैसे अपने प्रकाशन समूह में कुछेक बदलाव ला सकते हैं?
मेरे दृष्टिकोण में तो दि ग्राम टुडे प्रकाशन समूह हिंदी साहित्य जगत में हिंदी सेवा के विकास व समृद्धि हेतु निरंतर प्रयासरत है। यह प्रकाशन समूह न सिर्फ अपने अनुभवी साहित्यकारों को ही बल्कि विशेषकर सभी नवोदित रचनाकारों की भी की रचनाओं को अनेकों वर्ष से लगातार निःशुल्क प्रकाशित करते हुए उनका
उत्साहवर्धन तो कर ही रहा है साथ ही साथ उन्हें हिंदी साहित्य लेखन क्षेत्र में स्थापित कर,उन्हें और उनके लेखन को समाज में एक नई पहचान बनाने में सफलता एवं उपलब्धि भी प्रदान कर रहा है। दि ग्राम टुडे समूह का हिंदी साहित्य और साहित्यकारों
के उत्थान के लिए निःस्वार्थ भाव किया जाने वाले यह कार्यक्रम, कार्य,विचार और उच्च सोच न सिर्फ सराहनीय,प्रशंसनीय और
काबिले तारीफ है बल्कि साहित्य देवा में लगे अन्य के लिए भी
विचारणीय एवं अनुकरणीय होना चाहिए।
इस लिए दि ग्राम टुडे प्रकाशन समूह मेरे निजी मत अनुसार रचनाकारों के लिए बेहतर ही नहीं “बहुत बेहतर” कर पा रहा है।
इस प्रकाशन समूह के समूह संपादक आदरणीय श्री शिवेश्वर दत्त पाण्डेय जी एवं इस नेक कार्य में संलग्न सभी ऊर्जावान हिंदी सेवी
कर्मचारियों को इस सुंदर कार्य के लिए मैं अपनी निजी बहुत-बहुत हार्दिक बधाई एवं मंगल शुभकामनायें प्रेषित करता हूँ। उरतल से इस प्रकाशन समूह की निरंतर प्रगति एवं समृद्धि की आशाओं व अपेक्षाओं के साथ आप सभी का वंदन, अभिनन्दन करता हूँ।